Abstract
भारतीय समाज के महान नेता, डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीवन के सभी पहलुओं में शिक्षा को महत्वपूर्ण रूप से स्थापित किया है। उनका शिक्षावादी दृष्टिकोण ने भारतीय समाज को समरसता और समानता की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रदान किया है। अम्बेडकर ने अपने तार्किक दृष्टिकोण से शिक्षा के क्षेत्र में कई कदम उठाए। उन्होंने विभिन्न विद्यालयों और कॉलेजों में अध्ययन किया और अपनी उच्च शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण साझा की एवं विशेष रूप से उस समय समाज में फैली कुरीतियों एवं अशांतियों को दूर (निम्न कहे गए पिछड़ों और दलितों) करने हेतु शिक्षा को ही माध्यम बनाया। अम्बेडकर का विचारात्मक दृष्टिकोण उन्हें एक शिक्षाविद बनाता है, जो न केवल अपने छात्रों को ज्ञानार्जन के माध्यम से सशक्तिकारी बनाना चाहते थे, बल्कि समाज में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के विरुद्ध भी डॉ. अम्बेडकर ने समाज को सामाजिक और आर्थिक समता की दिशा में अपने शिक्षावादी दृष्टिकोण से मार्गदर्शन देने का प्रयास किया। उन्होंने आरक्षण के माध्यम से उपेक्षित जातियों को शिक्षा में सम्मिलित करने को महत्वपूर्ण माना तथा समान अवसर प्रदान किया। उनके शिक्षावादी दृष्टिकोण ने उन्हें नेतृत्वकर्ता बनाया, जिन्हें शिक्षा को ही महत्वपूर्ण साध्य एवं समर्पित बनने के लिए सशक्त माध्यम बनाया। उनके योगदान आज भी समाज के लिए पथ प्रदर्शक हैं और समाज को समानता और शांति की दिशा में मार्ग दर्शन करता है।