Vol. 1 No. 02 (2023): Apr - Jun 2023 - Shodh Utkarsh
Apr - Jun 2023 - Shodh Utkarsh

ग्लोबलाइज़ेशन, बाजरीकरण, पूंजीवाद, इंटरनेट, डिज़िटलाइजेसन, के युग में शिक्षातंत्र, शैक्षिणक, विषयों, शैक्षणिक खोज, अनुसन्धान, रिसर्च की गहराई, बदलाव एवं युगानुरूप, सार्थकता का होना आवश्यक हो जाता है।
शोध रिसर्च जनित्र पत्र पत्रिकाएं, उचत्तम शिक्षा की गुणवत्ता को, बहुत हद तक प्रभावित करती है, गुणवक्ता समाज की गति के अनुसार शैक्षणिक शोध अनुसन्धान से ही संभव है, समाज के प्रत्येक व्यक्ति को, व्यक्ति की समस्याओं को मुख्या धारा से जोड़कर सामाजिक विविध समस्याओं के निराकरण से है।

इस दिशा में यदि देखा जाये तो विश्व साहित्य में विविध विमर्शों का दौर 20वी सदी से प्रारम्भ हुआ, जो अनवरत चलता आ रहा है, क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है।

भारतीय साहित्य में विमर्शो का दौर 1980 से 90 के दशक से आरम्भ हुआ, विमर्श का अर्थ बातचीत, वाद – विवाद, तर्क – वितर्क से है, किन्तु कुतर्क से नहीं।